भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"गुलाबी / शार्दुला नोगजा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार=शार्दुला नोगजा
 
|रचनाकार=शार्दुला नोगजा
 
}}
 
}}
 +
{{KKCatKavita}}
 
<poem>
 
<poem>
 
 
मधुसूदन के हस्त गुलाबी
 
मधुसूदन के हस्त गुलाबी
 
बृज की गोपी मस्त गुलाबी
 
बृज की गोपी मस्त गुलाबी
पंक्ति 52: पंक्ति 52:
 
आप कहें क्या और गुलाबी
 
आप कहें क्या और गुलाबी
 
वस्तु, कार्य या ठौर गुलाबी ?
 
वस्तु, कार्य या ठौर गुलाबी ?
 
 
 
</poem>
 
</poem>

14:36, 7 सितम्बर 2020 के समय का अवतरण

मधुसूदन के हस्त गुलाबी
बृज की गोपी मस्त गुलाबी
गोमुख, गोपद धूल गुलाबी
काली जमुना, कूल गुलाबी
राधा की चिर प्रीति गुलाबी
नटवर की हर नीति गुलाबी
मधुर गुलाबी जसुमति प्यार
बंधे कन्हाई जिस से हार !
 
नयन, अधर, नख, गाल गुलाबी
बहकी लहकी चाल गुलाबी
फूल, कली, नव पात गुलाबी
गयी शाम बरसात गुलाबी
संध्या का लहराता आँचल
सिक्त किरण चमकाता बादल
पंख, शंख, परवाज़ गुलाबी
गीत, सदा, आवाज़ गुलाबी

प्रथम प्रणय की आंच गुलाबी
पिया मिलन की सांझ गुलाबी
नन्हें पग और स्मित की रेख
हर्षाती माँ जिनको देख
शिशु तो लालम लाल गुलाबी
जीवन के कुछ साल गुलाबी
बिटिया से घर-द्वार गुलाबी
रीति, रस्म, व्यवहार गुलाबी
 
हाय! काट के प्याज़ गुलाबी
हो गईं आँखें आज गुलाबी
गोभी, शलजम और तरबूज
हुए गुलाबी कुछ अमरुद
दादी गातीं छंद गुलाबी
पान बीच गुलकंद गुलाबी
दादा जी की पाग गुलाबी
होते कुछ-कुछ साग गुलाबी

क्या होते कुछ घाव गुलाबी?
चढ़ता ज्वर और ताव गुलाबी?
और गुलाबी पर्ची थाम
छूट गए जिन सब के काम
क्या उनके हालात गुलाबी?
पत्नी करती बात गुलाबी?
सुंदर प्रकृति के ये रंग
लालच कर देता सब भंग !

आप कहें क्या और गुलाबी
वस्तु, कार्य या ठौर गुलाबी ?