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"ऋतुओं का राजा वसंत / शकुंतला कालरा" के अवतरणों में अंतर
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फागुन आया वसंत लाया,
ऋतुओं का राजा है आया।
मनभावन मौसम है छाया,
आसपास सारा महकाया।
फूल खिले हैं प्यारे-प्यारे,
शाखाओं पर न्यारे-न्यारे।
फूलों के रस के मतवारे,
गूँजे भौरे कारे-कारे।
कुहू-कुहू कोयल गाती,
आम्र मंजरी उसको भाती।
डाली पर चिड़िया मुस्काती,
फूलों पर तितली लहराती।
कितनी सुंदर और सजीली,
झूमे सरसों पीली-पीली।
सजी कलियाँ रँग-रंगीली,
घूँघट में दुल्हन शर्मीली।