भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"लौटना / भगवत रावत" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भगवत रावत |संग्रह= }} दिन भर की थकान के बाद घरों क...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
17:54, 27 सितम्बर 2008 का अवतरण
दिन भर की थकान के बाद
घरों की तरफ़ लौटते हुए लोग
भले लगते हैं।
दिन भर की उड़ान के बाद
घोंसलों की तरफ लौटतीं चिडियाँ
सुहानी लगती हैं।
लेकिन जब
धर्म की तरफ़ लौटते हैं लोग
इतिहास की तरफ़ लौटते हैं लोग
तो वे ही
धर्म और इतिहास के
हत्यारे बन जाते हैं।
ऐसे समय में
सबसे ज्यादा दुखी और परेशान
होते हैं सिर्फ़
घरों की तरफ़ लौटते हुए लोग
घोंसलों की तरफ़ लौटती हुई
चिडि़याँ।