"हिन्दी कवि / सपन सारन" के अवतरणों में अंतर
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= सपन सारन |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}}...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 38: | पंक्ति 38: | ||
Thank You | Thank You | ||
− | + | — सभाघर तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठता है । | |
</poem> | </poem> |
02:27, 14 सितम्बर 2020 के समय का अवतरण
हिन्दी कवि झेंपता है
अकेला खड़ा है
धीमी आवाज़ में बोलता है
कि कहीं उसे कोई सुन न ले
— हिन्दी में बोलते ।
हिन्दी कवि बड़ी-बड़ी बातें कह जाता है
लोग उसे अँग्रेज़ी में समझने की कोशिश करते हैं
और निरर्थक पाते हैं ।
हिन्दी कवि, कवि नहीं है
शौकिया कविताएँ लिखता है
— ऐसा कहता है
ताकि कोई ये न सोचे कि वो कुछ नहीं कमाता
— बेचारा ।
हिन्दी कवि बेचारा नहीं दिखना चाहता
पर वो हिन्दी के कपड़े पहने खड़ा है
— झोला लिए
अँग्रेज़ी कपड़ों में हिन्दी कविता कहेगा
तो लोग बईमान कहेंगे ।
सो वो बेचारे की तरह खड़ा है
उसके पसीने छूट रहे हैं
उसकी कविता समाप्त हो गई है
और किसी को पता ही नहीं चला है ।
वो मंच से उतरने से पहले
दो शब्द अँग्रेज़ी में कहता है :
Thank You
— सभाघर तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठता है ।