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"खिलौने लकड़ी के / सुरेश विमल" के अवतरणों में अंतर

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कैसे सुंदर रंग बिरंगे
अहा, खिलौने लकड़ी के।

तितली पंख पसारेगी ज्यों
कभी उड़ेगी जैसे चिड़िया
हिरण चौकड़ी भर दौड़ेगा
मुंह बोलेगी जैसे गुड़िया।

कौन कहेगा बने हुए यह
सभी खिलौने लकड़ी के।

शिल्पी भाई अपनी इस
जादुई कला के गुर थोड़े से
अगर बता दो हमें बना लें
हम भी कुछ हाथी घोड़े से।

बहुत प्रशंसा पाएंगे हम
बना खिलौने लकड़ी के।