भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मातृभूमि / लालसिंह दिल / प्रितपाल सिंह" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Gayatri Gupta (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लालसिंह दिल |अनुवादक=प्रितपाल सि...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 7: | पंक्ति 7: | ||
{{KKCatKavita}} | {{KKCatKavita}} | ||
<poem> | <poem> | ||
− | प्यार का भी | + | प्यार का भी कोई कारण होता है ? |
− | + | सुगन्ध की भी कोई जड़ होती है ? | |
सच का कोई हो ना हो | सच का कोई हो ना हो | ||
झूठ कभी बेमकसद नहीं होता! | झूठ कभी बेमकसद नहीं होता! | ||
तेरे नीले पहाड़ों के कारण नहीं | तेरे नीले पहाड़ों के कारण नहीं | ||
− | न नीले जल के | + | न नीले जल के लिए |
यदि ये बूढ़ी माँ के बालों जैसे | यदि ये बूढ़ी माँ के बालों जैसे | ||
गहरे रंगे भी होते | गहरे रंगे भी होते | ||
तब भी मैं तुझको प्यार करता | तब भी मैं तुझको प्यार करता | ||
इन दौलतों के खजाने | इन दौलतों के खजाने | ||
− | मेरे | + | मेरे लिए तो नहीं |
− | प्यार का | + | प्यार का कोई कारण नहीं होता |
झूठ कभी बेमकसद नहीं होता | झूठ कभी बेमकसद नहीं होता | ||
− | खजानों के | + | खजानों के साँप तेरे गीत गाते हैं |
− | तुझे सोने की चिड़िया कहते हैं | + | तुझे सोने की चिड़िया कहते हैं । |
</poem> | </poem> |
00:01, 21 सितम्बर 2020 के समय का अवतरण
प्यार का भी कोई कारण होता है ?
सुगन्ध की भी कोई जड़ होती है ?
सच का कोई हो ना हो
झूठ कभी बेमकसद नहीं होता!
तेरे नीले पहाड़ों के कारण नहीं
न नीले जल के लिए
यदि ये बूढ़ी माँ के बालों जैसे
गहरे रंगे भी होते
तब भी मैं तुझको प्यार करता
इन दौलतों के खजाने
मेरे लिए तो नहीं
प्यार का कोई कारण नहीं होता
झूठ कभी बेमकसद नहीं होता
खजानों के साँप तेरे गीत गाते हैं
तुझे सोने की चिड़िया कहते हैं ।