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"लैंडस्केप-2 / गुलज़ार" के अवतरणों में अंतर

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टोलियाँ कुछ रुकी हुईं ढलानों पर
 
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डाग़ लगते हैं इक पके फल पर
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दूर सीवन उधेड़ती-चढ़ती,
 
दूर सीवन उधेड़ती-चढ़ती,

02:01, 30 सितम्बर 2008 के समय का अवतरण

कोई मेला लगा है परबत पर

सब्ज़ाज़ारों पर चढ़ रहे हैं लोग

टोलियाँ कुछ रुकी हुईं ढलानों पर

दाग़ लगते हैं इक पके फल पर

दूर सीवन उधेड़ती-चढ़ती,

एक पगडंडी बढ़ रही है सब्ज़े पर !


चूंटियाँ लग गई हैं इस पहाड़ी को

जैसे अमरूद सड़ रहा है कोई !