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"ख़लीलुर्रहमान आज़मी की याद में / शहरयार" के अवतरणों में अंतर

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धूल में लिपटे चेहरे वाला
 
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मेरा साया
 
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किस मंज़िल, किस मोड़ पर बिछड़ा
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ओस में भीगी यह पगडंडी
 
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आगे जाकर मुड़ जाती है
 
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कतबों की ख़ुशबू आती है
 
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घर वापस जाने की ख़्वाहिश
 
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दिल में पहले कब आती है
 
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इस लम्हे की रंग-बिरंगी सब तस्वीरें
 
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पहली बारिश में धुल जाएँ
 
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मेरी आँखों में लम्बी रातें घुल जाएँ।
 
मेरी आँखों में लम्बी रातें घुल जाएँ।
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20:20, 29 सितम्बर 2020 के समय का अवतरण

धूल में लिपटे चेहरे वाला
मेरा साया
किस मंज़िल, किस मोड़ पर बिछड़ा
ओस में भीगी यह पगडंडी
आगे जाकर मुड़ जाती है
कतबों की ख़ुशबू आती है
घर वापस जाने की ख़्वाहिश
दिल में पहले कब आती है
इस लम्हे की रंग-बिरंगी सब तस्वीरें
पहली बारिश में धुल जाएँ
मेरी आँखों में लम्बी रातें घुल जाएँ।