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"सफ़र की इब्तिदा नए सिरे से हो / शहरयार" के अवतरणों में अंतर
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सफ़र की इब्तिदा नए सिरे से हो | सफ़र की इब्तिदा नए सिरे से हो | ||
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कि आगे के तमाम मोड़ वह नहीं हैं | कि आगे के तमाम मोड़ वह नहीं हैं | ||
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चींटियों ने हाथियों की सूँड में पनाह ली | चींटियों ने हाथियों की सूँड में पनाह ली | ||
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थके-थके से लग रहे हो, | थके-थके से लग रहे हो, | ||
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धुंध के ग़िलाफ़ में, उधर वह चांद रेगे-आसमान से | धुंध के ग़िलाफ़ में, उधर वह चांद रेगे-आसमान से | ||
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तुम्हें सदाएँ दे रहा है, सुन रहे हो | तुम्हें सदाएँ दे रहा है, सुन रहे हो | ||
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तुम्हारी याददाश्त का कोई वरक़ नहीं बचा | तुम्हारी याददाश्त का कोई वरक़ नहीं बचा | ||
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तो क्या हुआ | तो क्या हुआ | ||
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गुज़िश्ता रोज़ो-शब से आज मुख़्तलिफ़ है | गुज़िश्ता रोज़ो-शब से आज मुख़्तलिफ़ है | ||
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आने वाला कल के इन्तज़ार का | आने वाला कल के इन्तज़ार का | ||
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सजाओ ख़्वाब आँख में | सजाओ ख़्वाब आँख में | ||
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जलाओ फिर से आफ़ताब आँख में | जलाओ फिर से आफ़ताब आँख में | ||
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सफ़र की इब्तिदा नए सिरे से हो। | सफ़र की इब्तिदा नए सिरे से हो। | ||
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20:21, 29 सितम्बर 2020 के समय का अवतरण
सफ़र की इब्तिदा नए सिरे से हो
कि आगे के तमाम मोड़ वह नहीं हैं
चींटियों ने हाथियों की सूँड में पनाह ली
थके-थके से लग रहे हो,
धुंध के ग़िलाफ़ में, उधर वह चांद रेगे-आसमान से
तुम्हें सदाएँ दे रहा है, सुन रहे हो
तुम्हारी याददाश्त का कोई वरक़ नहीं बचा
तो क्या हुआ
गुज़िश्ता रोज़ो-शब से आज मुख़्तलिफ़ है
आने वाला कल के इन्तज़ार का
सजाओ ख़्वाब आँख में
जलाओ फिर से आफ़ताब आँख में
सफ़र की इब्तिदा नए सिरे से हो।