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"सवारे-बेसमंद / शहरयार" के अवतरणों में अंतर

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20:22, 29 सितम्बर 2020 के समय का अवतरण

ज़मीन जिससे छुट गई
बाब ज़िन्दगी का जिस पे बन्द है
वो जानता है यह कि वह सवारे-बेसमंद है
मगर वो क्या करे,
कि उसको आसमाँ को जाने वाला रास्ता पसन्द है।

शब्दार्थ :
सवारे-बेसमंद=बिना घोड़े का सवार; बाब=दरवाज़ा