क्या नाम है?- टेसू! हाँ, टेसुआ का बाप
गोबिंदी टेसुआ और उगना के बीच बँटी है
मगर टेसुआ के करीब होकर खड़ी है।
उस बार टोले के साथ-साथ उसका घर भी जला दिय गया था,
और फगुना के बच निकलने पर
उसका एक साल का बालू आग में झोंक दिया गया था।
इस बार गोबिंदी टेसू को लेकर अपने उगना पर फिरंट है,
पर उगना कुछ नहीं सुनता
दीन-दुनिया को ठोकर मार दिन अंधैत देवी-देवता पर थूकता है,
बड़े-बड़ों की मूँछें उखाड़ता-फिरता है-
और लोगों को दिखा-दिखाकर आग में मूतता है।
गोबिंदी को पक्का है :
आग एक बार फिर धधकेगी,
और उसके टेसू को कुछ नहीं होगा-
सारी हरिजन टोली उसकी बाँह पकड़ खड़ी होगी,
और उस आग से लड़ेगी।