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तेरे आने की महफ़िल ने जो कुछ आहट-सी पाई है,
तपाक और मुस्कराहट में भी आँसू थरथराते हैं,
बहुत चंचल है अरबाबे-हवस२ की उँगलियाँ लेकिन,
ये मौजों के थपेड़े,ये उभरना बहरे-हस्ती५ में,
सुकूते-बहरे-बर७ की खलवतों८ में खो गया हूँ जब,
बहुत-कुछ यूँ तो था दिल में,मगर लब सी लिए मैंने,
मोहब्बत दुश्मनी में क़ायम है रश्क९ का जज्बा,
मुझे बीमो-रज़ा१० की बहसे-लाहासिल११ में उलझाकर,
हमीं ने मौत को आँखों में आँखे डालकर देखा,
मेरे अशआर१३ के मफहूम१४ भी हैं पूछते मुझसे
हमारा झूठ इक चूमकार है बेदर्द दुनिया को,
६. जीवन रूपी बुलबुला ७. धरती का मौन ८. एकांत ९. ईर्ष्या १०. भय और ईश्वरेच्छा
११. व्यर्थ की बहस १२. अथाह जीवन १३.शे'र १४.अर्थ १५.खुद की प्रशंसा
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