भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"ख़ुशनसीब था वह / आन्ना स्विरषिन्स्का / सिद्धेश्वर सिंह" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=आन्ना स्विरषिन्स्का |अनुवादक=सि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 25: | पंक्ति 25: | ||
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह''' | '''अँग्रेज़ी से अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह''' | ||
+ | ...................................................................... | ||
+ | '''[[दह्रो रहेछ भाग्य / अन्ना स्विर / सुमन पोखरेल|यहाँ क्लिक गरेर यस कविताको नेपाली अनुवाद पढ्न सकिन्छ ।]]''' | ||
</poem> | </poem> |
09:56, 3 दिसम्बर 2020 के समय का अवतरण
बूढ़ा आदमी
घर से निकल पड़ता है किताबें थामे ।
एक जर्मन सिपाही
छीन लेता है उसकी किताबें
और उछाल देता है कीचड़ में ।
बूढ़ा आदमी समेटता है उन्हें
उसके मुँह पर
मुक्का मारता है सिपाही
लुढ़क जाता है बूढ़ा आदमी
और उसे लतिया कर भाग जाता है सिपाही ।
कीचड़ और खून में
लथपथ लेटा है बूढ़ा आदमी
वह महसूस कर रहा है अपने नीचे
किताबों का स्पन्दन ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह
......................................................................
यहाँ क्लिक गरेर यस कविताको नेपाली अनुवाद पढ्न सकिन्छ ।