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"लोकतन्त्र / ल्याङ्ग्स्टन ह्यूज / सुमन पोखरेल" के अवतरणों में अंतर
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09:31, 4 दिसम्बर 2020 के समय का अवतरण
आउँदैन लोकतन्त्र
आजै, यसै वर्ष
वा कहिल्यै पनि
यी बाध्यताले गरिएका चित्तबुझाइ र त्रासहरूका बीचबाट।
आफ्ना दुई खुट्टामाथी उभिने र
टेकेको माटालाई आफ्नो भन्ने
त्यति नै अधिकार छ मेरो
जति छ अरूहरूको।
वाक्क भैसकेँ म
पख, सब बिस्तारै ठिक हुन्छ
भन्नेहरूका कुराले।।
भोली अर्कै दिन हो,
मरिसकेपछिको स्वतन्त्रता चाहिएन मलाई
भोलिको गाँसले बाँच्न सक्दिनँ आज म ।
स्वतन्त्रता
ठूलो खाँचाले रोपिएको
एउटा भरिलो बीज हो।
यहीँ छु म पनि
स्वतन्त्रता चाहन्छु
तिम्रैजस्तै।
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