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"अभी न पर्दा गिराओ, ठहरो, कि दास्ताँ आगे और भी है / गुलज़ार" के अवतरणों में अंतर

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कहीं तो अंजाम-ओ-जुस्तजू के सिरे मिलेंगे
 
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अभी न पर्दा गिराओ, ठहरो!
 
अभी न पर्दा गिराओ, ठहरो!
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'''[[पर्ख, नझार पर्दा एकछिन / गुलजार / सुमन पोखरेल|यहाँ क्लिक गरेर यस कविताको नेपाली अनुवाद पढ्न सकिन्छ ।]]'''
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15:24, 10 दिसम्बर 2020 के समय का अवतरण

अभी न पर्दा गिराओ, ठहरो, कि दास्ताँ आगे और भी है
अभी न पर्दा गिराओ, ठहरो!
अभी तो टूटी है कच्ची मिट्टी, अभी तो बस जिस्म ही गिरे हैं
अभी तो किरदार ही बुझे हैं।
अभी सुलगते हैं रूह के ग़म, अभी धड़कते हैं दर्द दिल के
अभी तो एहसास जी रहा है।

यह लौ बचा लो जो थक के किरदार की हथेली से गिर पड़ी है
यह लौ बचा लो यहीं से उठेगी जुस्तजू फिर बगूला बनकर
यहीं से उठेगा कोई किरदार फिर इसी रोशनी को लेकर
कहीं तो अंजाम-ओ-जुस्तजू के सिरे मिलेंगे
अभी न पर्दा गिराओ, ठहरो!

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यहाँ क्लिक गरेर यस कविताको नेपाली अनुवाद पढ्न सकिन्छ ।