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"तालाबों में बची हैं / रमेश पाण्डेय" के अवतरणों में अंतर

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'''द फ़ाल आफ़ ए स्पैरो यानि विलुप्त होती हुई गौरैया के बारे में कुछ नोट्स'''
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(’द फ़ाल आफ़ ए स्पैरो’ प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी डा. सालिम अली की आत्मकथा का शीर्षक है
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तालाब में बची है शैवाल की
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हरी खुरदरी कालीन
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महुआ के पेड़ों की
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हरी छाँव
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मकई के हरे खेत
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धान की हरी जवानी
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बचा है अभी भी
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अपनों के बीच अपनों की ख़बर का
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चटख हरापन

10:25, 8 अक्टूबर 2008 के समय का अवतरण

तालाब में बची है शैवाल की

हरी खुरदरी कालीन


महुआ के पेड़ों की

हरी छाँव


मकई के हरे खेत

धान की हरी जवानी


बचा है अभी भी

अपनों के बीच अपनों की ख़बर का

चटख हरापन