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"सफलता का मंत्र / आरती 'लोकेश'" के अवतरणों में अंतर
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23:40, 17 दिसम्बर 2020 के समय का अवतरण
ऊपर उठना है तो राही,
पहले नीचे गिरना सीख।
दर्शन कैसे हो सुबह का,
यदि रहोगे आँखें मींच।
सागरतल को नमन बिना,
ऊँची क्या उठ सके लहर।
सूरज भी नीचे ढलता है,
जब चढ़ते हैं तीन पहर।
गिर-गिरकर ही साध सका है,
घोड़े को यह कुशल सवार।
पैठ सिंधु में मोती पाता,
गोताखोर न ले पतवार।
जितना ही जड़ नीचे जाती,
उतना बढ़ता वृक्ष अनंग।
नीचे डोर खींच ढील दो,
उतनी ऊपर चले पतंग।
बादल जल बरसा धरा पर,
फिर से घिरे वाष्प की चाह।
किरणें धरती पहले छूकर,
गर्मी देती जाती राह।
मंत्र सफलता का इतना है,
गिरने से मानव न डर।
नीचे झुक और उठा किसी को,
कर जा यह भी काम अमर।