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"मन में झाँको / आरती 'लोकेश'" के अवतरणों में अंतर
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बना नयन के तुम झरोखे,
सोये भाव जगाकर देखो,
छवि तुम्हारी वहीं अपार,
मन में झाँको एक बार।
पाती में लिखे शब्द भी छोड़ो,
अधरों के उस पार निहारो,
मधुर प्रेम की बरस फुहार,
मन में झाँको एक बार।
बदन की जगमग से क्या काम,
वदन की सज्जा है बेकाम,
रूह रही तेरा नाम पुकार,
मन में झाँको एक बार।
पतझड़ आने से न घबराना,
पीले पत्ते छू-छूकर जाना,
कोंपल चटकीं आई बहार,
मन में झाँको एक बार।