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"इश्क़ का पहला बाब चल रहा है / राज़िक़ अंसारी" के अवतरणों में अंतर

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04:48, 18 दिसम्बर 2020 का अवतरण

इश्क़ का पहला बाब चल रहा है क़ैस ज़ेरे ख़िताब चल रहा है

पढ़ के दुख दर्द की किताब बता किसका कितना हिसाब चल रहा है

आंसुओं की झड़ी न लग जाए आज मौसम ख़राब चल रहा है

तीर कोई ख़ता नहीं होगा तू अभी कामयाब चल रहा है

बे सबब तो हंसी नहीं आती कुछ तो दिल में जनाब चल रहा है

आना जाना लगा है नींदों का टुकड़े टुकड़े में ख़्वाब चल रहा है

मुझ से तुम ऐसे गुफ़्तगू करते मेरा टाईम ख़राब चल रहा है </poem>