भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"दुआ / परवीन शाकिर" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
					
										
					
					अनिल जनविजय  (चर्चा | योगदान)  | 
				अनिल जनविजय  (चर्चा | योगदान)   | 
				||
| पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
| + | {{KKGlobal}}  | ||
| + | {{KKRachna  | ||
| + | |रचनाकार=परवीन शाकिर  | ||
| + | |संग्रह=  | ||
| + | }}  | ||
| + | |||
चांदनी    | चांदनी    | ||
14:08, 7 अक्टूबर 2008 के समय का अवतरण
चांदनी
उस दरीचे को छूकर
मेरे नीम रोशन झरोखे में आए, न आए,
मगर
मेरी पलकों की तकदीर से नींद चुनती रहे
और उस आँख के ख़्वाब बुनती रहे।
	
	