भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"हम कविता नहीं करते / वन्दना टेटे" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वन्दना टेटे |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

13:51, 25 जनवरी 2021 के समय का अवतरण

हम कविता नहीं करते
अपनी बात कहते हैं
जैसे कहती है धरती
आसमान, पहाड़, नदियाँ
जैसे कहते हैं
कुसुम के फल
महुआ के फूल
जामुन की गन्ध
कटहल की मिठास
अभी-अभी पैदा हुआ जीव
और जंगल की सनसनाती हवा

हम गीत नहीं गाते
मैना की तरह कूकते हैं
मेमनों की तरह मिमियाते हैं
मेंढ़कों की तरह टर्राते हैं
बारिश के जैसे
धीमे-धीमे महीनों गुनगुनाते हैं
और हाथी मामू के जैसा
बस, एक-दो कड़ी बोलते हैं

हमारी कविताएँ और गीत
धूप की तरह हैं
जिनका रूप-सौन्दर्य
कोई शास्त्री नहीं
प्रकृति का विराट साया
निरखता और गुनता है