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"लिपट गयी जो धूल / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर
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लिपट गयी जो धूल पांव से | लिपट गयी जो धूल पांव से | ||
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वह गोरी है इसी गांव की | वह गोरी है इसी गांव की | ||
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जिसे उठाया नहीं किसी ने | जिसे उठाया नहीं किसी ने | ||
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इस कुठांव से। | इस कुठांव से। | ||
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ऐसे जैसे किरण | ऐसे जैसे किरण | ||
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ओस के मोती छू ले | ओस के मोती छू ले | ||
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तुम मुझको | तुम मुझको | ||
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चुंबन से छू लो | चुंबन से छू लो | ||
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मैं रसमय हो जाऊँ! | मैं रसमय हो जाऊँ! | ||
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22:53, 8 मार्च 2021 के समय का अवतरण
लिपट गयी जो धूल
लिपट गयी जो धूल पांव से
वह गोरी है इसी गांव की
जिसे उठाया नहीं किसी ने
इस कुठांव से।
ऐसे जैसे किरण
ओस के मोती छू ले
तुम मुझको
चुंबन से छू लो
मैं रसमय हो जाऊँ!