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"समुद्र वह है / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर

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समुद्र वह है
 
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जिसका धैर्य छूट गया है
 
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दिककाल में रहे-रहे !
::दिककाल में रहे-रहे !
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जिसका मौन टूट गया है,
 
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चोट पर चोट सहे-सहे !
::चोट पर चोट सहे-सहे !
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22:53, 8 मार्च 2021 के समय का अवतरण

समुद्र वह है
जिसका धैर्य छूट गया है
दिककाल में रहे-रहे !

समुद्र वह है
जिसका मौन टूट गया है,
चोट पर चोट सहे-सहे !