Changes

|रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल
}}
{{KKCatKavita}}<poem>वह चिड़‍िया चिड़िया जो- 
चोंच मार कर
 
दूध-भरे जुंडी के दाने
 
रुचि से, रस से खा लेती है
 वह छोटी संतोषी चिड़‍ियाचिड़िया
नीले पंखों वाली मैं हूँ
 
मुझे अन्‍न से बहुत प्‍यार है।
 वह चिड़‍िया चिड़िया जो- 
कंठ खोल कर
 
बूढ़े वन-बाबा के खातिर
 
रस उँडेल कर गा लेती है
 वह छोटी मुँह बोली चिड़‍ियाचिड़िया
नीले पंखों वाली मैं हूँ
 
मुझे विजन से बहुत प्‍यार है।
 वह चिड़‍िया चिड़िया जो- 
चोंच मार कर
 
चढ़ी नदी का दिल टटोल कर
 
जल का मोती ले जाती है
 वह छोटी गरबीली चिड़‍ियाचिड़िया
नीले पंखों वाली मैं हूँ
 
मुझे नदी से बहुत प्‍यार है।
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
17,043
edits