भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"लंदन में बिक आया नेता / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल }} <poem> लंदन में बिक आया नेता, हाथ …) |
|||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल | |रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल | ||
}} | }} | ||
+ | {{KKCatKavita}} | ||
<poem> | <poem> | ||
लंदन में बिक आया नेता, हाथ कटा कर आया । | लंदन में बिक आया नेता, हाथ कटा कर आया । |
23:11, 8 मार्च 2021 के समय का अवतरण
लंदन में बिक आया नेता, हाथ कटा कर आया ।
एटली-बेविन-अंग्रेज़ों में, खोया और बिलाया ।।
भारत-माँ का पूत-सिपाही, पर घर में भरमाया ।
अंग्रेज़ी साम्राज्यवाद का, उसने डिनर उड़ाया ।।
अर्थनीति में राजनीति में, गहरा गोता खाया ।
जनवादी भारत का उसने, सब-कुछ वहाँ गवायाँ ।|
गोटवव