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|रचनाकार=सुब्रह्मण्यम भारती
|अनुवादक=अनिल जनविजय
|संग्रह=
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आओ नाचें और पल्लु<ref>वह लोकगीत, जो शोषित जाति ’पल्ल जाति के लोग गाते हैं।</ref> गाएँ
आज़ादी ले ली है हमने, इसकी ख़ुशी मनाएँ
आओ नाचें और पल्लु गाएँ ।
'''मूल तमिल से अनुवाद (कृष्णा की सहायता से): अनिल जनविजय'''
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