भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"प्रेम के लिए / अरविन्द श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अरविन्द श्रीवास्तव |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

00:14, 28 मार्च 2021 के समय का अवतरण

उन ग्रह-नक्षत्र, तारों का शुक्रिया
जो टकटकी बाँधे निहार रहे थे हमें
बरसों बरस से प्रेमपूर्वक

उन्होंने प्रेम की कोई किताब नहीं पढ़ी थी
नहीं थी उनके पास कोई डिक्शनरी
बावजूद उनके प्रेम का भंडार
अनंत था ब्रह्मांड भर

वे प्रेम करते थे अगाध हमसे
हमारी दिनचर्या और कविता से
पेड़-पत्ते और पक्षियों से

हमारे शोधकर्ता अन्वेषक
कहा करते थे उन्हें मृत- निष्प्राण
सोचता हूँ प्रेम करने के लिए
मृत-निष्प्राण होना कितना जरूरी है !