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"जल से दूर तरंग / रामकिशोर दाहिया" के अवतरणों में अंतर

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कहने लगीं कहानी आँतें
 
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चिन्तन में बचकानी बातें
 
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19:32, 17 अप्रैल 2021 के समय का अवतरण

कल पुर्जों पर लम्बी घातें
चिन्तन में बचकानी बातें

अहसासों की
छोटी क्षमता
उसके नीचे
नई विषमता
अंकुर नये पुरानी गाँठें
चिन्तन में बचकानी बातें

अधर लटकती
रही मधुरता
घर बैठे मन
भीतर कुढ़ता
नज़रें गिरी बयानी रातें
चिन्तन में बचकानी बातें

मन भर बोझ
उमंगे ढोतीं
जल से दूर
तरंगें होतीं
कहने लगीं कहानी आँतें
चिन्तन में बचकानी बातें

-रामकिशोर दाहिया