"हाइकु / गोपाल बाबू शर्मा / कविता भट्ट" के अवतरणों में अंतर
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+ | दूर ठिकाना | ||
+ | रात भर बसेरा | ||
+ | सुबह जाना। | ||
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+ | कँगूरे हँसे | ||
+ | पत्थर कब दिखे | ||
+ | नींव में धँसे। | ||
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+ | धुर्पलु हैंसी | ||
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+ | बुन्यात दब्याँ | ||
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+ | बात निराली | ||
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+ | प्राणी को गाली। | ||
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+ | बात अनोखि | ||
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+ | कहीं बबूल | ||
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+ | जूही के फूल। | ||
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+ | कक्खी बबूल | ||
+ | कक्खी देंदा खुसबो | ||
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+ | सोन चिरैया | ||
+ | खा जाएँ नोचकर | ||
+ | घर के बाज़। | ||
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+ | सोनै प्वथली | ||
+ | खैयी द्यो कक्खी नोची | ||
+ | घौरौ कु बाज | ||
+ | 9 | ||
+ | उन्मन मन | ||
+ | दहकता है जैसे | ||
+ | ढाक का वन। | ||
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+ | बेचैन मन | ||
+ | जगणु रौंदू जन | ||
+ | ढाकौ कु बौंण | ||
+ | 10 | ||
+ | जीवन ऐसे | ||
+ | पानी पर बहता | ||
+ | फूल हो जैसे। | ||
+ | |||
+ | जीवन यनु | ||
+ | पाणी मा च बौगणु | ||
+ | फूल हो जनु | ||
+ | 11 | ||
+ | यौवन रूप | ||
+ | सर्दियों की साँझ ज्यों | ||
+ | भागती धूप। | ||
+ | |||
+ | च ज्वान रूप | ||
+ | ह्यूँदै ब्याखुन जन | ||
+ | भागदु घाम | ||
+ | 12 | ||
+ | छोटे या बड़े | ||
+ | कोई नहीं अन्तर | ||
+ | माटी के घड़े। | ||
+ | |||
+ | छोटा चा बड़ा | ||
+ | क्वी बि नि च फरक | ||
+ | माटा का घौड़ा | ||
+ | -0- | ||
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13:53, 3 मई 2021 के समय का अवतरण
1
दुष्टों का संग
बबूल के पेड़ पे
टँगी पतंग।
दूस्टु कु संग
बबूला डाळा परैं
टंगीं पतंग
2
रेत के टीले
दिखते बड़े ऊँचे
कितने दिन?
रेता यु टिल्ला
दिख्याँदा भौत ऊँच्चा
कथगा दिन
3
दूर ठिकाना
रात भर बसेरा
सुबह जाना।
दूर ठिकाणू
रात भरौ बसेरू
सुबेर जाण
4
हम तो जिए
काँटों की दुनिया में
तुम्हारे लिए।
हम त ज्यूँदा
काँडों कि ईं दुन्या माँ
तुमारा बाना
5
कँगूरे हँसे
पत्थर कब दिखे
नींव में धँसे।
धुर्पलु हैंसी
ढुंगा कब दिख्याँदा
बुन्यात दब्याँ
6
बात निराली
पत्थर को प्रणाम
प्राणी को गाली।
बात अनोखि
ढुंगौं थैं परणाम
मन्ख्यों थैं गाळी
7
कहीं बबूल
कहीं देते खुशबू
जूही के फूल।
कक्खी बबूल
कक्खी देंदा खुसबो
जूही का फूल
8
सोन चिरैया
खा जाएँ नोचकर
घर के बाज़।
सोनै प्वथली
खैयी द्यो कक्खी नोची
घौरौ कु बाज
9
उन्मन मन
दहकता है जैसे
ढाक का वन।
बेचैन मन
जगणु रौंदू जन
ढाकौ कु बौंण
10
जीवन ऐसे
पानी पर बहता
फूल हो जैसे।
जीवन यनु
पाणी मा च बौगणु
फूल हो जनु
11
यौवन रूप
सर्दियों की साँझ ज्यों
भागती धूप।
च ज्वान रूप
ह्यूँदै ब्याखुन जन
भागदु घाम
12
छोटे या बड़े
कोई नहीं अन्तर
माटी के घड़े।
छोटा चा बड़ा
क्वी बि नि च फरक
माटा का घौड़ा
-0-