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"हाइकु / रश्मि विभा त्रिपाठी / कविता भट्ट" के अवतरणों में अंतर

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रवि-चुम्बन
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हवा खोलदी
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ताल ब्वारी कु जूड़ा
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लटुली फैलि
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छेड़े चाँद सिन्धु को
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सेंण ई नि द्यो
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बूँद-पैंजनी बाँध
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नाचते मेघ
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बुन्द पैजी बाँधी कि
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दूर्वा आसन्न
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धरा प्रसन्न
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दुब्लू आसण
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गाँदि हर्यां का गीत
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पिर्थी खुस च
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अद्भुत रूप
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भू -आँचल में टँकी
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मोती-सी दूब
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अनोखु रूप
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पिर्थी पल्ला माँ टँगीं
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पहन पीत वस्त्र
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सज गई भू
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पिंगळा लत्ता पैरी
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सजि गि पिर्थी
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उन्मुक्त पाखी
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देखे स्वर्णिम नभ
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भू-दूर्वा-झाँकी
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खुल्ला पगछि
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हेन्नु सोना क आगास
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पिर्थी दुब्लू
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ताकते गाँव
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शहर रास्ता देखे
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कहाँ है छाँव
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ताकणा गौं ई
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सैरौ बाटु देखणा
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कख च छैलु
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शाम ने ढूँढे
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गीत गौरैया के भी
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हो गए गूँगे
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रूम्क खोजदी
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गीत घेण्डुड़ी का बि
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ह्वे गिन गूँगा
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12
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जीवन युद्ध
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स्वजन ही विरुद्ध
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कैसे लड़ूँ मैं ?
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जीवन जुद्ध
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स्वारा इ बिरुद्ध
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कनक्वे लड़ू
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19:57, 3 मई 2021 के समय का अवतरण

1
रवि-चुम्बन
पा लहर का मन
करे स्पंदन

सुरजै भुक्की
पैकि लैरौ कु मन
कौरु थत्राट
2
खोलती हवा
झील-वधू का जूड़ा
बिखरी लटें

हवा खोलदी
ताल ब्वारी कु जूड़ा
लटुली फैलि
3
रात के क़िस्से
छेड़े चाँद सिन्धु को
सोने नहीं दे

राता क किस्सा
छेड़ू जून समोद्र
सेंण ई नि द्यो
4
उगा सूरज
धरा- क्यारी में खिले
रश्मि-सुमन

उगी सुरज
पिर्थी क्यारी खिल्यन
किरणू फूल
5
उमड़ा वेग
बूँद-पैंजनी बाँध
नाचते मेघ

उफळि बेग
बुन्द पैजी बाँधी कि
नाचदा बादळ
6
दूर्वा आसन्न
गाती हरित गीत
धरा प्रसन्न

दुब्लू आसण
गाँदि हर्यां का गीत
पिर्थी खुस च
7
अद्भुत रूप
भू -आँचल में टँकी
मोती-सी दूब

अनोखु रूप
पिर्थी पल्ला माँ टँगीं
मोती- सि दुब्लू
 8
वसंत ऋतु
पहन पीत वस्त्र
सज गई भू

वसन्त ऋतु
पिंगळा लत्ता पैरी
सजि गि पिर्थी
9
उन्मुक्त पाखी
देखे स्वर्णिम नभ
भू-दूर्वा-झाँकी

खुल्ला पगछि
हेन्नु सोना क आगास
पिर्थी दुब्लू
10
ताकते गाँव
शहर रास्ता देखे
कहाँ है छाँव
ताकणा गौं ई
सैरौ बाटु देखणा
कख च छैलु
11
शाम ने ढूँढे
गीत गौरैया के भी
हो गए गूँगे

रूम्क खोजदी
गीत घेण्डुड़ी का बि
ह्वे गिन गूँगा
12
जीवन युद्ध
स्वजन ही विरुद्ध
कैसे लड़ूँ मैं ?

जीवन जुद्ध
स्वारा इ बिरुद्ध
कनक्वे लड़ू
-0-