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भूमिका-अंश / कविता भट्ट
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|रचनाकार=कविता भट्ट
|अनुवाद=
|संग्रह=
}}
'''दो शब्द'''
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'''
द्वी सबद!
'''
मि तैं रंचणा का काम माँ अगनै बढ़ौण वळी अर अपड़ी किरपा से म्यारा ज्यूँणा बाटा माँ उजळु फैलौंण वळी संग्ता विराजमान अर सर्वसग्तिमान माँ त्रिसग्ति का चरणू की बारम्बार वंदना करदु!
वीरबाला
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