भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"ऊ मुस्काउँदै आई / सुमन पोखरेल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= सुमन पोखरेल |अनुवादक= |संग्रह=मला...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

09:06, 6 मई 2021 के समय का अवतरण

ऊ मुस्काउँदै आई, र रोएर गई
नछोई मलाई, छोएर गई

ऊ बोलिरहेथी, म टोलाइरहेथेँ
म सुनिरहेथेँ, म हराइरहेथेँ
पोखिएका पीडा उठाएर गई
नछोई मलाई, छोएर गई

न बगेका आँशु, थापिदिन सक्थेँ
न बोझहरूलाई छाती दिन सक्थेँ
फेरि चोट बटुली, र लिएर गई
नछोई मलाई, छोएर गई

म बोलिरहेथेँ, ऊ हेरिरहेथी
ऊ हेरिरहेथी, ऊ मुस्काइरहेथी
एकछिन टोलाई, र उठेर गई
नछोई मलाई, छोएर गई

दुखेर गई, या मन धोएर गई
ऊ मुस्काउँदै आई, र रोएर गई