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"दिन डडेर गयो / सुमन पोखरेल" के अवतरणों में अंतर
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दिन डडेर गयो, रात पोखिई बिलायो
नयाँ रूप भएर बिहान ओर्ली आयो
सपनाहरू छँदैछन्
रहर उही बढ्दैछन्
फेरि आफूमा नै जीवन फर्की आयो
नयाँ रूप भएर बिहान ओर्ली आयो
उमङ्गहरू उठ्दैछन्
उल्लास फेरि बन्दैछन्
फेरि आफूभित्रै जीवन फर्की आयो
नयाँ रूप भएर बिहान ओर्ली आयो