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"कृष्न करै तो लीला बोलो, किसना करै किनारा / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर
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+ | दो झूठे मंतर पढ़ कर दे वो गुड़ गोबर सारा | ||
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+ | हाकिम की इक दसख़त से हो जाये वारा न्यारा | ||
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+ | मेहनतकश सच्चे इन्सां का दर्द न जाने कोई | ||
+ | जब चाहा पुचकारा उसको, जब चाहा दुत्कारा | ||
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+ | मक्कारों को सबक सिखाने की ताक़त दे मौला | ||
+ | या फिर इस जीवन से ही दे दे मुझको छुटकारा | ||
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+ | अब यह ख़बर 'वायरल' कर देंगे हम जनता में | ||
+ | 'जबरा मारै, देय न रोवै' ये आतंक तुम्हारा | ||
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+ | अदम गोंडवी ने जनहित में पहले ही लिक्खा है | ||
+ | जनता के है पास बगावत का ही अब इक चारा | ||
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20:50, 18 मई 2021 के समय का अवतरण
'कृष्न' करै तो लीला बोलो, 'किसना' करै छिनारा
पूछ रहा हूं मुखिया जी कैसा इंसाफ़ तुम्हाराॽ
धरम-करम की परिभाषा पंडित की पोथी बोलै
दो झूठे मंतर पढ़ कर दे वो गुड़ गोबर सारा
ख़ून - पसीना ख़ूब बहाओ पाई-पाई जोड़ो
हाकिम की इक दसख़त से हो जाये वारा न्यारा
मेहनतकश सच्चे इन्सां का दर्द न जाने कोई
जब चाहा पुचकारा उसको, जब चाहा दुत्कारा
मक्कारों को सबक सिखाने की ताक़त दे मौला
या फिर इस जीवन से ही दे दे मुझको छुटकारा
अब यह ख़बर 'वायरल' कर देंगे हम जनता में
'जबरा मारै, देय न रोवै' ये आतंक तुम्हारा
अदम गोंडवी ने जनहित में पहले ही लिक्खा है
जनता के है पास बगावत का ही अब इक चारा