भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मैं तुम्हारे ध्यान में हूँ / कविता भट्ट" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कविता भट्ट |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(कोई अंतर नहीं)

22:23, 24 जून 2021 का अवतरण

 
भरम अब है ही नहीं
जगती की छाया का।

मीतु तुम्हारे भान में हूँ,
मैं तुम्हारे ध्यान में हूँ।

मोह जी को है नहीं
आज किसी माया का।

लग रहा कि प्रज्ञान में हूँ
मैं तुम्हारे ध्यान में हूँ।

दस दिशाएँ गा रही
मांगलध्वनि आ रही।

ईश के वरदान में हूँ,
मैं तुम्हारे ध्यान में हूँ।

प्रेम मिश्रित मधु पिया,
मद-समर्पण सा हुआ।

अनहद से सम्मान में हूँ,
मैं तुम्हारे ध्यान में हूँ।

कैसा विरह यह पिया !
मिलन भी जब ना हुआ।

सच है- मैं अनुमान में हूँ!
मैं तुम्हारे ध्यान में हूँ।