भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"अटुट... / गीता त्रिपाठी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= गीता त्रिपाठी |अनुवादक= |संग्रह=स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
08:17, 2 जुलाई 2021 के समय का अवतरण
जब शीर्षस्थ हुन्छौ तिमी
मेरा हरफहरू
गीत भएर बग्न थाल्छन्- तिमीतिरै
तिम्रो केन्द्रदेखि
मेरो परिधिसम्मको
अनन्त दूरीमा
लाग्छ,
बगिरहेछ युगौँदेखि
विश्वासको एक
अटुट नदी
पानी छउञ्जेल नदीमा
किनारहरू
सहयात्रामै हुन्छन् हरसमय
यही समयको
एउटा सहयात्री म
उमारेर
सम्पूर्ण स्मृतिका तरङ्गहरू
त्यही नदीमा
तिम्रो गीतको मीठो धुन
पर्खिरहनेछु ...अटुट...।