भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"लगता है उक़ूबत है कि हम कुछ नहीं कहते / उदय कामत" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=उदय कामत |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGhazal}}...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

17:21, 2 जुलाई 2021 के समय का अवतरण

 
लगता है उक़ूबत है कि हम कुछ नहीं कहते
नज़रों की करामत है कि हम कुछ नहीं कहते

उनकी ये रक़ाबत है कि हम कुछ नहीं कहते
अपनी ये नदामत है कि हम कुछ नहीं कहते

अपनों की अदावत ने परेशान किया है
ग़ैरों की रिफ़ाक़त है कि हम कुछ नहीं कहते

हम जस्त-ए-हुनर लफ्ज़-तराशी में थे मसरूफ़
पर उन की शिकायत है कि हम कुछ नहीं कहते

उल्फ़त की असीरी में बहुत कहना था हम को
ये रस्म-ए-मुहब्बत है कि हम कुछ नहीं कहते

बे-ज़ोर की साकित की दुआ होती है मंज़ूर
ख़ामोशी में क़ुव्वत है कि हम कुछ नहीं कहते

है रस्म-ओ-रिवायत का ज़माने में बहुत शोर
'मयकश' ये बग़ावत है कि हम कुछ नहीं कहते