"गर्मी-1 / सुधा गुप्ता" के अवतरणों में अंतर
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धधक रही | धधक रही | ||
लाल पीली कनेर | लाल पीली कनेर | ||
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फूलों से लदा | फूलों से लदा | ||
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अमलतास | अमलतास | ||
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हत शोभाश्री | हत शोभाश्री | ||
निर्जला उपासी | निर्जला उपासी | ||
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उबल रहे | उबल रहे |
09:00, 3 जुलाई 2021 के समय का अवतरण
1
तन्दूर तपा
धरती रोटी सिंकी
दहके लाल
2
आग का गोला
फट गया सुबह
बिखरे शोले
3
सूखे गले से
कलप रही हवा
घूँट पानी के
4
लपटों -घिरा
अगिया बैताल-सा
लू का थपेड़ा
5
आग की गुफ़ा
भटक गई हवा
जली निकली
6
फटा पड़ा है
हज़ार टुकड़ों में
पोखर-दिला
7
धूप से तपा
देह पर फफोले
ले, दिन फिरा
8
कुपिता धरा
अगन-महल में
आसन-पाटी
9
धूप दरोगा
गश्त पर निकला
आग-बबूला
10
जेठ की आँच
हवाएँ खौलती हैं
औटते जीव
11
पानी की धुन
सूखे गले भटके
राजा मछेरा*
12
धधक रही
लाल पीली कनेर
सड़कों पर
13
फूलों से लदा
भूला होशो-हवास
अमलतास
14
हत शोभाश्री
निर्जला उपासी
जेठ की धरा
15
उबल रहे
ब्रह्माण्ड के देग में
चर-अचर
16
वन-अरण्य
जलें रूई मानिन्द
लपटें, धुँआ
17
आया है द्वार
धूल-भरी झोली ले
जोगी बैसाख
18
अंगारे बिछा
सोने चली धरती
लपटें ओढ़
19
नीम-बेहोश
करवट से लेटी
है दोपहरी
20
तक़्न है रूखा
होंठों जमीं पपड़ी
वैशाखी धरा
21
प्यासी चिड़िया
ख़ुश , टोंटी में छिपा
दो बूँद पानी
22
कुँए , छबील
प्यास बूझने वाले
मीत लापता
23
सती का शव
काँधे डाले घूमते
बौराए रुद्र
24
गुलमोहर
खिला, आग रंग की
धूप -छतरी
-0-
- किंग फिशर
-0-