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"चान्द-1 / वन्दना टेटे" के अवतरणों में अंतर

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हर रोज़ शाम चान्द
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हर रोज़ शाम चाँद
 
मेरे साथी की तरह
 
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ऑफ़िस से निकलते ही
 
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सड़कों पर की
 
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चिलपों
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पेड़ों बादलों की
 
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लुका-छिपी
 
लुका-छिपी
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घर वाली अन्धेरी गली
 
घर वाली अन्धेरी गली
टाते ही कसक सी
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आते ही कसक सी
 
उठ जाती है जुदा होने के नाम पर
 
उठ जाती है जुदा होने के नाम पर
 
और
 
और

15:23, 13 सितम्बर 2021 के समय का अवतरण

हर रोज़ शाम चाँद
मेरे साथी की तरह
ऑफ़िस से निकलते ही
साथ हो लेता है
दोनों
गुमसुम-गुमसुम
पर बतियाते हुए ।

सड़कों पर की
चिल्लपों
पेड़ों बादलों की
लुका-छिपी
दिन भर की थकान भी
पर
अच्छा लगता है
उसक साथ चलना
गुमसुम-गुमसुम
पर बतियाते हुए ।

घर वाली अन्धेरी गली
आते ही कसक सी
उठ जाती है जुदा होने के नाम पर
और
फिर कल मिलने के वायदे के साथ
विदा लेते हैं हम
गुमसुम-गुमसुम ।