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कविता की फ़सल / कमलेश कमल

No change in size, 01:31, 19 सितम्बर 2021
पर अश्कों की बारिश से अबकी
अच्छी हुई है
कविता कि की फ़सल
एक ज़रब-सी पड़ती है
कहीं सीने के अंदर
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