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"गाँव से आया / हरदीप कौर सन्धु" के अवतरणों में अंतर

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ओटे छपी मूरतें
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डिब्बीदार छाँव
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मिलती कहाँ
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न जाने कहाँ !
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मुर्गे की बाँग वाला
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गुम सवेरा
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कैमरा क्लिक
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मुँह छुपाए अम्मा
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ताई कहे न !
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चढ़ती धूप
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अकेली आज  बैठी 
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अम्मा है चुप !
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नानी के बाल
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तेल सरसों लगा
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सोने के तार
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दादी के बाद
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संदूक व चरखा
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एक कोने में
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रात अँधेरी
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दे रही है पहरा
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बापू की खाँसी
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10
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याद तुम्हारी
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थामती भँवर में
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नाव जो डोले
  
 
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22:39, 27 सितम्बर 2021 के समय का अवतरण

 

गाँव से आया
ख़त में गुँथकर
रँगीला प्यार
2
चिड़िया तोते
ओटे छपी मूरतें
चहकी यादें
3
वाण की खाट
डिब्बीदार छाँव
मिलती कहाँ
 4
न जाने कहाँ !
मुर्गे की बाँग वाला
गुम सवेरा
5
कैमरा क्लिक
मुँह छुपाए अम्मा
ताई कहे न !
6
चढ़ती धूप
अकेली आज बैठी
अम्मा है चुप !
7
नानी के बाल
तेल सरसों लगा
सोने के तार
8
दादी के बाद
संदूक व चरखा
एक कोने में
9
रात अँधेरी
दे रही है पहरा
बापू की खाँसी
10
याद तुम्हारी
थामती भँवर में
नाव जो डोले