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"बोझिल और कोमल / ओसिप मंदेलश्ताम / रमेश कौशिक" के अवतरणों में अंतर

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भारी जालों कोमल फन्दों का
 
भारी जालों कोमल फन्दों का
दुहरा देना नाम कठिन है
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इससे तो आसान उठा लेना पत्थर है .........
 
इससे तो आसान उठा लेना पत्थर है .........
  
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और प्यार ने आहिस्ता से
 
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                 भारी और कोमल गुलाब ले
 
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                                        दुहरी माला में गूँथा है
 
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16:54, 8 अक्टूबर 2021 का अवतरण

बोझिल और कोमल दो बहनें
                है दोनों की पहचान एक-सी
भौंरे और ततैये पीते हैं गुलाब रस
                मरते मनुज गर्म रेत ठण्डा पड़ता है
कल का सूरज काले स्ट्रेचर के ऊपर आज लदा है

भारी जालों कोमल फन्दों का
                         दुहरा देना नाम कठिन है
इससे तो आसान उठा लेना पत्थर है .........

इस दुनिया में मेरा केवल एक प्रयोजन
                एक सुनहरा लक्ष्य चल रहा है
काल-भार से कैसे निज को मुक्त करूँ मैं

ऐसे पीता हूँ मैं बदबूदार हवा को
                मानो यह काला जल हो
फेंक दिया है खोद समय को
                                         भू गुलाब है

और प्यार ने आहिस्ता से
                भारी और कोमल गुलाब ले
                कोमलता और भारीपन को
                                         दुहरी माला में गूँथा है