भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कम्प्यूटर- रोबोट / शशिकान्त गीते" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शशिकान्त गीते |अनुवादक= |संग्रह= }} {...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

18:31, 17 अक्टूबर 2021 के समय का अवतरण

हम रिमोट से चलने वाले
कम्प्यूटर-रोबोट ।

धरती पर है पाँव, और मन
अन्तरिक्ष में खोए
रठराए हैं स्वस्थ बीज, नव-
उपग्रह पर बोए
कहाँ समय जो ढूँढ़े कोई
आख़िर किसमें खोट ।

चुकी बैटरी, ध्वनियाँ मद्धिम
सी पी यू गतिहीन
किसी तहलका डॉट कॉम पर
भूखे हैं तल्लीन
आँखें सहमी फटी-फटी-सी
और सिले हैं होंठ ।

उनके खेल, ज़रूरत जितनी
उतनी विद्युत-धारा
उनकी ही मरज़ी पर निर्भर
अपना जीवन सारा
बटन दबे औ' हम तो छापें
पट-पट अपने वोट ।