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"आया हूँ मैं द्वार तुम्हारे / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’" के अवतरणों में अंतर
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आया हूँ मैं द्वार तुम्हारे
दूर करो मन के अँधियारे।
जीवन का संताप हरो तुम
मुझ पर ऐसी दया करो तुम।
सुखी रहें मनमीत हमारे
कभी ताप ना आए द्वारे।
सारे सुख तुम उनको देना
पीर -शूल सब तुम हर लेना।
अधरों पर मुस्कान खिलाना
मधुर कण्ठ में गान जगाना।
मैं उनके आँसू पा जाऊँ
इस जीवन को सफल बनाऊँ।
इतनी सी विनती सुन लेना
प्रभु ! उनको सन्ताप न देना।