भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बासन खावै सदा समोद / खगनियाँ" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=खगनियाँ |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

05:17, 15 नवम्बर 2021 के समय का अवतरण

पहेली :

बासन खावै सदा समोद,
छोटी मोटी लाल विनोद ।
नेरे नहीं दूर में रहै,
बासू केर खगनियाँ कहै ।

उत्तर : कचौरी