भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"रहता है पीताम्बर कान्धे / खगनियाँ" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=खगनियाँ |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(कोई अंतर नहीं)

05:19, 15 नवम्बर 2021 का अवतरण

पहेली :

रहता है पीताम्बर का्न्धे,
गूजैं फूलै पर मन साधे ।
काला होता रस को गहै,
बासू केर खगनियाँ कहै ।

उत्तर : भौंरा