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"कन्नम्मा, मेरी प्रिया-1 / सुब्रह्मण्यम भारती" के अवतरणों में अंतर
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रेशम की तेरी कान्तियुक्त साड़ी ! | रेशम की तेरी कान्तियुक्त साड़ी ! | ||
आधी रात में सितारों भरी जैसे | आधी रात में सितारों भरी जैसे | ||
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+ | तेरी मुस्कान में झलक रही है | ||
+ | उजली धूप गुनगुनी | ||
+ | तेरे कण्ठ से फूटे कोयल की | ||
+ | मोहक कूक सी रागिनी | ||
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+ | तेरे दिल की धड़कन में ज्यों | ||
+ | गूँजें महासागर की लहरें | ||
+ | सुनाई दे रही हैं मुझको | ||
+ | तेरे मन-गीत की सब बहरें | ||
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+ | ओ सदानीरा, ओ नवयौवना | ||
+ | तू मेरी है, प्रिया कन्नम्मा ! | ||
+ | आ, तुझे आलिंगन में लूँ | ||
+ | ओ सजनी, रसिया, कनम्मा ! | ||
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17:53, 23 नवम्बर 2021 का अवतरण
चान्द और सूरज सी उज्ज्वल हैं
तेरी आँखें कन्नम्मा !
आसमान में उड़ने के लिए हैं
तेरी पाँखें कन्नम्मा !
इन गोल काली आँखों में समाई
आकाश की सारी कालिमा !
मुखड़े पर तेरे फैली सुखदाई
सुबह के सूरज की लालिमा !
रत्न जड़ी है वो गहरी नीली
रेशम की तेरी कान्तियुक्त साड़ी !
आधी रात में सितारों भरी जैसे
चमक रही आकाशगंगा हमारी !
तेरी मुस्कान में झलक रही है
उजली धूप गुनगुनी
तेरे कण्ठ से फूटे कोयल की
मोहक कूक सी रागिनी
तेरे दिल की धड़कन में ज्यों
गूँजें महासागर की लहरें
सुनाई दे रही हैं मुझको
तेरे मन-गीत की सब बहरें
ओ सदानीरा, ओ नवयौवना
तू मेरी है, प्रिया कन्नम्मा !
आ, तुझे आलिंगन में लूँ
ओ सजनी, रसिया, कनम्मा !
मूल तमिल से अनुवाद (कृष्णा की सहायता से) : अनिल जनविजय