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वो बुतख़ाने चले जाएँ , इबादत जिनके मन में है ।
मुहबबत मुहब्बत से ही निकला है , मुदावा जब कभी निकला ,
कहाँ हल काेई दे पाते , तिजारत जिनके मन में है ।