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"रेल में एक बग़ीचे के पास से गुज़रते हुए / राबर्ट ब्लाई / अनिल जनविजय" के अवतरणों में अंतर

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06:34, 26 नवम्बर 2021 के समय का अवतरण

सेब के पेड़ों के नीचे
ऊँची-ऊँची घास खड़ी है ।
पेड़ों की छाल कामुक और खुरदरी हो चुकी है ...
भारी घास असमान रूप से
बढ़ती ही जा रही है ।

खुले मैदानों में
नंगे पड़े रहकर
हम चट्टानों की तरह
मुसीबतें नहीं झेल सकते ।
हम किसी हलकी सी
खरोंच से ही मर जाते हैं !

इस गाड़ी में
मैं किसी को नहीं जानता ।
गलियारे में एक आदमी
मेरी तरफ़ बढ़ रहा है ।

मैं उससे कहना चाहता हूँ
कि मैंने उसे माफ़ कर दिया है
और मैं चाहता हूँ
कि वो भी मुझे माफ़ कर दे ।

अंग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय

लीजिए, अब यही कविता मूल अँग्रेज़ी में पढ़ें
                  Robert Bly
     Passing an Orchard by Train

Grass high under apple trees.
The bark of the trees rough and sexual
the grass growing heavy and uneven.

We cannot bear disaster like
the rocks-
swaying nakedly
in open fields.

One slight bruise and we die!
I know no one on this train.
A man comes walking down the aisle.
I want to tell him
that I forgive him that I want him
to forgive me.