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आश्विन मास की रात
इन्द्रमालती के फूल रो रहे थे
उठकर जाकर देखा
गाँव की गोधूलि की तरह
तुम्हारी हंसी
सुपारी के पेड़ पर
लटक रही है ।
मूल असमिया से अनुवाद : दिनकर कुमार